Gunjan Kamal

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यादों के झरोखे से " पराएपन का एहसास "

     दोस्तों! यादों के झरोखे में कैद एक ऐसी ही यादें लेकर फिर से आप सभी के समक्ष हाजिर हूॅं जिसे मैं खुलकर तो आप सबके समक्ष नहीं रख पाऊंगी लेकिन मुझे उम्मीद है कि आप मेरी बातों को समझ अवश्य जाएंगे।   



       " समाज ने  जिसे   अपना   बना   दिया
        दिल ने भी  उसको  अपना  मान  लिया
        किस्मत  ने    ऐसा     खेल     दिखाया
         दिल ने   जिसे    अपना    बना     लिया
        वही आज पराएपन का एहसास दें गया "


दोस्तों ! कौन अपना है , कौन पराया है आज तक यह बात मेरी समझ में आई ही नहीं । जब लगने लगता है कि वह मेरा अपना है वही ऐसा कर गुजरता है कि दिल सोचने पर विवश हो जाता है कि यही मेरा अपना है ?? किसी के कह भर देने से कोई अपना नहीं हो जाता। कभी - कभी अपने ही ऐसा काम कर जातें हैं जिसकी उम्मीद हमारे दिल को उनसे तो यह कर गुजरने की बिल्कुल नहीं होती है ।अपनों द्वारा किए गए कुछ काम और उनके द्वारा  हमारे लिए  बोली गई  बातें सुनकर दिल इस कदर चोट खाता  है कि यह हमारे रिश्तों में पराएपन का एहसास भर जाता है और हम अंदर - ही - अंदर उस रिश्तों से दूर चले जाते है । हम लाख चाहें वह यादें मिटाने की लेकिन  वह वक्त , वह बातें हमारे दिमाग की मेमोरी में इस कदर सेव हों जाती है कि वक्त का मरहम भी उस मेमोरी को डिलीट नहीं कर पाती है ।


दोस्तों ! हमारी जिंदगी में कुछ रिश्ते ऐसे होते है जो जिंदगी भर अपने ही कहलाते है । चाहें वह हमें पराएपन का एहसास ही क्यूं ना दिलाते हो लेकिन हमें उन रिश्तों को निभाना ही पड़ता है या यूं कहें तो गलत नहीं होगा कि उन रिश्तों को निभाना हमारी मजबूरी हो जाती है और यह एक ऐसी मजबूरी है जो जिंदगी भर हमारी अंतिम सांस तक हमारे साथ ही रह जाती है।


दोस्तों ! आज आप सब सोच रहे होंगे कि यह आज इतनी निगेटिव बातें क्यूं कर रही है ?? बात सिर्फ इतनी है कि हर दिन एक सा नहीं होता ना ! कोई दिन ऐसा भी होता है जब स्मृतिपटल पर विगत दिनों की कड़वी यादें इस कदर छाई रहती है कि हम लाख कोशिश करें लेकिन वह स्मृतिपटल से जाने का नाम ही नहीं लेती है क्योंकि यह ऐसी बातें होती है जिससे दिल ने बहुत गहरी चोट खाई होती है । आज का दिन भी ऐसा ही है । 


दोस्तों!  इन सबकी अब मैं  चिंता नही करना चाहती लेकिन हो ही जाती है। इन सबके बावजूद वही करने में लगी रहती हूॅं, जिसे लोग मेरा अपना कहते हैं उनको खुश करने ।

 
" अपनों  को खुश    करने    में  जो   कहें
   वह   करने    को    तैयार     रहते        है
  वें  अपने   ही   हैं   जो   मुझे आज  तक
  पराएपन  का  एहसास  दिलाते   रहते हैं "


दोस्तों! अभी आपसे ज्यादा बातें भी नहीं की लेकिन फिर भी मन बहुत विचलित हो गया है। बीती बातें आंखों के सामने चलचित्र की भांति दिखने लगी है और  भावुक मन भावनाओं में बहकर मन को और भी व्यथित कर रहा है। मन और ज्यादा व्यथित हो उससे पहले आप सबसे हाथ जोड़कर विदा चाहती हूॅं और साथ ही  जाने से पहले यह भी कहना चाहती हूॅं कि यादों के झरोखे में छुपी याद के साथ  फिर से मिलती हूॅं, तब तक के लिए 👇


   🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 " बाय "🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻


                                                    धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

  " गुॅंजन कमल " 💓💞💗

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5 Comments

Rajeev kumar jha

07-Jan-2023 07:37 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Nice 👍🏼

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